भूगोल
उत्तर त्रिपुरा राज्य त्रिपुरा के उत्तरी भाग में स्थित है और इसकी भौगोलिक संरचना विविध है, जिसमें छोटी पहाड़ियाँ, घाटियाँ और वन क्षेत्र प्रमुख हैं। यह जिला शिवालिक पर्वतमाला का हिस्सा है, जो पूर्वी हिमालय की तराई का विस्तार है। ये पहाड़ियाँ बहुत ऊँची नहीं हैं, लेकिन उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हुई हैं, जो उपजाऊ घाटियों से युक्त ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति बनाती हैं। जिले की प्रमुख पर्वतमालाओं में जम्पुई पहाड़ियाँ शामिल हैं, जो उत्तर त्रिपुरा के पूर्वी भाग में स्थित हैं। लगभग 930 मीटर ऊँचाई तक उठने वाली ये पहाड़ियाँ त्रिपुरा की सबसे ऊँची पर्वतमाला हैं और अपनी प्राकृतिक सुंदरता तथा ठंडे मौसम के लिए जानी जाती हैं।
जिले से कई नदियाँ बहती हैं, जिनका उद्गम आसपास की पहाड़ियों से होता है और वे घाटियों से होकर गुजरती हैं। प्रमुख नदियों में लोंगाई, जुरी, काकरी और देवो नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ वर्षा आधारित और मौसमी स्वभाव की हैं, जो कृषि और दैनिक जल उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मानसून के दौरान इनका जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। लोंगाई नदी उत्तर की ओर बहकर असम में प्रवेश करती है, जबकि जुरी और मनु नदियाँ क्षेत्र की बड़ी नदी प्रणालियों की सहायक नदियाँ हैं।
उत्तर त्रिपुरा उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला क्षेत्र है, जहाँ विशेषकर जून से सितंबर के बीच भारी वर्षा होती है। वार्षिक औसत वर्षा 2,000 से 2,500 मिमी तक होती है। यहाँ का तापमान सर्दियों में लगभग 10°से. और गर्मियों में 35°से. तक पहुँचता है तथा वर्ष के अधिकांश समय क्षेत्र में आर्द्रता बनी रहती है।
जिला प्राकृतिक वनस्पतियों से भी समृद्ध है और इसके आधे से अधिक क्षेत्र में घने वन पाए जाते हैं। इनमें उष्णकटिबंधीय सदाबहार और आर्द्र पतझड़ी वन शामिल हैं, जिनमें बाँस, सागौन, बेंत और औषधीय पौधे पाए जाते हैं। पहाड़ी वनों से आच्छादित यह स्थलाकृति विविध पारिस्थितिकी तंत्र का सहारा देती है और क्षेत्र की पारिस्थितिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान करती है।